लेखक: सिर्गइ नोसव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: सिर्गइ नोसव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
समय बिताने के लिए घर के लोगों से कितना मन बहलाएं । समय बिताने के लिए घर के लोगों से कितना मन बहलाएं ।
पत्ते ने स्नेहपूर्वक उत्तर दिया, "हाँ प्रिय भाई।" अब उसने आशंकित स्वर में प्रश्न किया, "लेकिन... पत्ते ने स्नेहपूर्वक उत्तर दिया, "हाँ प्रिय भाई।" अब उसने आशंकित स्वर में...
जो उसी प्रकार जोर-जोर से अपने पत्ते हिलाकर प्रसन्न हो रहा है। जो उसी प्रकार जोर-जोर से अपने पत्ते हिलाकर प्रसन्न हो रहा है।
भला बिस्तर पर आराम से बैठे- बैठे कमरे के भीतर कांटा कैसे चुभ जाएगा। भला बिस्तर पर आराम से बैठे- बैठे कमरे के भीतर कांटा कैसे चुभ जाएगा।
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास